शिवगंज। नगर के सुभाष चौक प्रांगण पर आयोजित श्री कृष्ण लीला मंचन कार्यक्रम जैसे-जैसे यौवन की ओर अग्रसर हो रहा है, वैसे ही देखने व सुनने को लोग उमड़ रहे हैं। श्री जागनाथ महादेव मन्दिर ट्रस्ट द्वारा मन्दिर प्रतिष्ठा की द्वितीय पाटोत्सव वर्षगांठ के उपलक्ष में आयोजित 10 दिवसीय श्री कृष्ण लीला मंचन के दौरान तीसरे व चौथे दिन श्री कृष्ण लीला सेवा संस्थान के कलाकारों द्वारा रामवल्लभ शर्मा के निर्देशन में श्री कृष्ण राधा के दिव्य दर्शन व गोपियों के संग नित्य रास नृत्य के बाद भगवान श्री विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं के प्रसंगों पर मंचन किया जाकर उपस्थित श्रोताओं को भावविभोर किया गया।
कार्यक्रम के दौरान तीसरे दिन मुख्य रूप से काली मर्दन प्रसंग पर विस्तारपूर्वक मंचन हुआ। यमुना में कालिया नाग द्वारा जहर फैला देने की चर्चा होती है। कृष्ण को मारने की उनके कंस मामा की ओर से योजना बनाई जाती है। योजना के तहत हाथी के बच्चों से कुचलकर मरवाने की बात होती है। इससे उनकी पालक माता यशोदा व पिता नंद बेहद चिंतित होते हैं। कंस व उनके असुरों की इस योजना को ध्वस्त करने के लिए एक लाख कमल के फूल लाए जाते हैं। इस बीच कृष्ण अपने सखाओं के साथ कबड्डी खेलते हैं।
खेलते समय गेंद अचानक यमुना नदी में चली जाती हैं। यह गेंद उनके सखा श्री धामा की होने पर सभी सखाओं के समझाने पर भी वह उस गेंद को लाने की जिद करता हैं। कृष्ण गेंद को लाने के लिए यमुना में कूद पड़ते हैं। काफी समय गुजर जाने पर भी कृष्ण के बाहर नहीं आने पर कृष्ण के सखा दौड़े हुए ब्रजवासियों को सूचना देते हैं। तभी कृष्ण के माता-पिता व ब्रजवासी दौड़े हुए यमुना के तट पर पहुंचते हैं। इस दौरान कृष्ण व कालिया नाग के बीच यमुना के भीतर युद्ध होता है। इतने में कृष्ण काली नाग के फन पर बैठकर बाहर आते हैं और कृष्ण काली नाग को यमुना छोड़ने का आदेश देते हैं।
चौथे दिन की कृष्ण लीला राजस्थान की जाई जन्मी कृष्ण के प्रेम की दीवानी अनन्य भक्त मीराबाई पर आधारित होने से उपस्थित दर्शकों ने अन्तिम समय तक बड़े ही उत्सुकता से मंचन देखा। कृष्ण लीला में मीराबाई की कृष्ण भक्ति व इन्द्र देव द्वारा ब्रजवासियों पर बरसात प्रसंग पर मंचन किया गया। इस बीच परीक्षा लेने को ब्रजवासियों पर इन्द्र देव द्वारा बरसात कराई जाती है। कृष्ण कनिष्का से पहाड़ उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा करते हैं।
इन्द्र देव कृष्ण की लीला को समझकर चले जाते हैं।
बाद में राणा विक्रम द्वारा मीराबाई को ना-ना प्रकार के कष्ट दिये जाते हैं।भगवान कृष्ण जो मीराबाई को गिरिधर गोपाल के नाम से मूर्ति के रुप में मिले।गिरिधर गोपाल की मूर्ति की मीरा नित्य पूजा करती हैं जिसका राणा विक्रम विरोध करता हैं।मीरा को यह करने से मना किया जाता है लेकिन वह अडिग रहती हैं।राणा विक्रम अपनी बहन उदाबाई के साथ मिलकर मूर्ति की चोरी करवाते हैं।
मीरा इसके वियोग में मूर्षित होकर गिर पड़ती हैं।मीरा को मारने के लिए सपेरा से सर्प व वैध से विष भिजवाया जाता हैं लेकिन हर बार मीरा को बचाने गिरिधर गोपाल प्रकट हो जाते हैं।राणा विक्रम द्वारा शंका होने पर वहीं जहर वैद्य को पिलाये जाने पर वह मर जाता हैं,भक्ति में लीन मीरा के अनुरोध पर कृष्ण वैद्य को भी जिन्दा कर देते हैं।राणा विक्रम वहां से चले जाते हैं।उसकी बहन उदाबाई मीरा से कष्ट देने पर क्षमा मांगती हैं।मीराबाई बड़े ही सहज भाव से अपनी ननद को क्षमा कर देती और वह मेडता छोड़ वृंदावन धाम को चली जाती हैं।
चौथे दिन की कृष्ण लीला के अन्तिम पड़ाव पर वृंदावन धाम में भगवान श्री कृष्ण के प्रसिद्ध बांके बिहारी मन्दिर में स्थापित मूर्ति के दर्शन कराये जाने के बाद आरती की जाकर विसर्जन हुआ। दोनों ही दिन मंचन का शुभारंभ प्रतिदिन की भांति गणपति वंदना व हनुमान चालीसा पाठ के साथ किया गया।तत्पश्चात लाभार्थी चांदाना के श्रवण सिंह राव,जितेन्द्र सिंह राव तथा सुमेरपुर के प्रकाश कुमार चम्पालाल चांदोरा ने कृष्ण-राधा को तिलक लगाकर,पुष्पहार पहनाकर और आरती कर दर्शन लाभ लिया।
मंच पर मन्दिर ट्रस्ट व आयोजन समिति की ओर से आरती के लाभार्थी श्रवण सिंह राव व उनकी धर्मपत्नी एडवोकेट श्रीमती गीता कुंवर राव प्रसाद के लाभार्थी महिपाल सिंह राणावत व प्रकाश कुमावत, भामाशाह पुनाराम मीणा,महेन्द्र गुप्ता, प्रकाश भाटी,बाबूलाल ग्वाला,विनोद गुप्ता पंकज भाई झंवर,भलाराम चौधरी का इत्यादि का साफा,शाॅल व दुपट्टा पहनाकर स्वागत-सत्कार किया गया।मंच का संचालन ट्रस्ट मंत्री गंगाराम गोयल ने किया।