![सोलापुर विश्वविद्यालय](https://jagruktimes.co.in/wp-content/uploads/2024/05/UNIVERSITY.webp)
मुंबई। पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होल्कर सोलापुर विश्वविद्यालय ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए महाप्रीत के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस अवसर पर सोलापुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डा. प्रकाश महानवार, रजिस्ट्रार श्रीमती योगिनी घरे एवं निदेशक महाप्रीत विजय कलाम पाटिल, निदेशक पुरूषोत्तम जाधव, मुख्य वित्तीय अधिकारी डी.सी. पाटिल, सीजीएम सतीश चावरे, महाप्रबंधक विकास रोडे, जीएम तेजस शिंदे और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा पैदा करके विवि को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। इससे विवि से संबद्ध संस्थानों को बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। ऊर्जा क्षेत्र में नवीन तकनीकी शिक्षा शुरू करना और ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना संभव होगा।
विवि में की जा रही रोजगार गतिविधियां क्रियान्वित
विश्वविद्यालय द्वारा कई स्वरोजगार गतिविधियां क्रियान्वित की जा रही हैं और यह सौर ऊर्जा पहल एक नवाचार पैदा करेगी। विश्वविद्यालय के कुलपति ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महाप्रीत के साथ किये जा रहे समझौते के संबंध में कई महत्वपूर्ण पहलू बताए. यह सौर ऊर्जा विश्वविद्यालय और एनटीपीसी जैसे आसपास के उद्योगों की ऊर्जा आवश्यकता को स्थायी रूप से पूरा करने में मदद करेगी। तथा अन्य आवश्यक कारखानों को अतिरिक्त सौर ऊर्जा उपलब्ध कराना संभव हो सकेगा।
इससे विश्वविद्यालय का दैनिक बिजली खर्च बचेगा। विश्वविद्यालय की उपलब्ध बंजर भूमि का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा। विश्वविद्यालय गैर-पारंपरिक ऊर्जा के लिए उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित करेगा। यह गैर-पारंपरिक और ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में विभिन्न प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान और विकास भी करेगा।
महाप्रीत के प्रबंध निदेशक ने किया संबोधित
महाप्रीत के प्रबंध निदेशक डा.अमोल शिंदे ने बताया कि यह समझौता ज्ञापन महाप्रीत के लिए एक अभिनव कदम है और महाप्रीत इस कार्य को नवीन प्रौद्योगिकी के माध्यम से समय के भीतर पूरा करेगा। महाप्रीत वर्तमान में विभिन्न प्रौद्योगिकियों के विशेषज्ञों के साथ काम कर रहे हैं और उनके नवीनतम ज्ञान के आधार पर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। विश्वविद्यालय की गैर-पारंपरिक सौर ऊर्जा पहल को भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिलेगी।