माउंट आबू
माउंट आबू एंकर पश्चिम भारत एवं राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन माउंट आबू
जहां पर्यटन एवं धार्मिक नगरी के रूप में विश्व विख्यात है वही माउंट आबू
अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा के लिए देश और विदेश में अपनी पहचान बनाए हुए
ब्रिटिश शासन काल के पहले से माउंट आबू में चलती अंग्रेजी माध्यम के
स्कूलों में पूरे देश से विदेश से बच्चे शिक्षा प्राप्त करने आते हैं लेकिन
माउंट आबू का स्कूलों का जहां अन्य स्कूल है ग्रीष्मकालीन छुट्टी के साथ
बंद होती हैं वही माउंट आबू की यह अंग्रेजी माध्यम के स्कूल दिसंबर में बंद
होती हैं और फरवरी के अंत में खुलती हैं
इस प्रकार से माउंट आबू की स्कूलों में इस वर्ष दिसंबर माह फाइनल एग्जाम का
होता है माउंट आबू की स्कूल 15 मार्च से बंद है और यहां पर बच्चों को
ऑनलाइन शिक्षा तो दी जा रही है लेकिन सरकार द्वारा अभिभावकों से कहा जा रहा
है कि स्कूल खुले नहीं है तो फीस नहीं उसको लेकर अभिभावक स्कूलों में कम
की गई फीस भी जमा नहीं करा रहे हैं जिसको लेकर माउंट आबू के हॉस्टल स्कूल
मैं शिक्षक आ रहे हैं ऑनलाइन शिक्षा भी चल रही है
स्कूलों के मालिक शिक्षकों को उनकी सैलरी भी दे रहे हैं फिर भी अभिभावक
सरकार के कहने के चलते फीस जमा नहीं करा रे जिस से माउंट आबू का यह व्यवसाय
बंद पड़ा है जिसको लेकर माउंट आबू के सभी स्कूलों शिक्षकों ने मिलकर माउंट
आबू के उपखंड अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है कि माउंट आबू
की यह स्कूल है अब चालू की जाए जिससे उनका व्यवसाय चालू हो सके और सरकार
फीस लेने का अगर मना करती है तो सरकार बिजली पानी दिलों के साथ शिक्षकों की
सैलरी बच्चों की फीस स्कूल में जमा करवा दें माउंट आबू की इस प्रकार की
मांग को लेकर स्कूल मालिकों ने यह भी कहा है कि जब सरकार बिजली पानी के बिल
तक नहीं छोड़ सकती।उनके साथ से सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है ।
सरकार अपने वोट बैंक तैयार कर रही है। इसके अलावा कुछ भी नहीं।
के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों ने की सरकार से स्कूल खोलने की मांग