
सिरोही जिले (Sirohi District) के चर्चित मामले में शुक्रवार (23 मई, 2025) को भी संधर्ष समिति के आव्हान पर आनिश्चितकालीन धरना जारी है। धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने अब प्रशासन को अंतिम चेतावनी दी है कि नदी में लगी हुई मशीनों को एक घंटे के अंदर तुरंत वहाँ से हटाया जाए नही आगे की कार्रवाई जनता स्वयं करेगी। जैसा कि आपको मालूम हो कि गत महीनों से कृष्णावती नदी में ज्यादा मात्रा में भारी मशीनों से अधिक मात्रा में किए जा रहे बजरी खनन के विरोध में कृष्णावती संघर्ष समिति के बैनर तले पांचवे दिन शुक्रवार को भी जावाल सहित आसपास के 22 गांवों के लोगों का बायोसा माताजी मंदिर परिसर में अनिश्चितकालीन धरना जारी है। धरने का समर्थन करने को ग्रामीणों ने शुक्रवार को भी जावाल के साथ 22 गांवो के बाजार सहित अन्य कामकाज बंद रखा। गुरुवार शाम को भी भोंपू प्रसार कर बाजार बंद का आह्वान किया था। संघर्ष समिति ने जावाल सहित 22 गांवो के क्षेत्र में शुक्रवार को पूर्णतया बाजार बंद रखने का निर्णय किया था।
संधर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल की राज्यमंत्री से वार्ता रही विफल
प्रतिनिधि मंडल की राज्यमंत्री ओटाराम देवासी व प्रशासन के साथ हुई बुधवार शाम को वार्ता में ग्रामीणों ने बताया कि बडी मशीनों से भारी मात्रा में खनन कर डम्परों से बजरी परिवहन किया जा रहा है। हजारों पेड़ों को काटकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। जिसकी जांच कर कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों के मुताबिक ओटाराम देवासी कहना कि एक कमेटी बनाकर निर्णय लिया है कि जांच में माइनिंग वाले दोषी है तो उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी। अगर ठेकेदार गलत है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई होगी। कल सुबह उनके साथ फिर से बैठक की जाएगी, जो निष्कर्ष निकलेगा, उसकी जांच एडीएम करेंगे। समस्या का समाधान किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी दिया
कृष्णावती नदी संघर्ष समिति ने गुरुवार (22 मई, 2025) को राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में बताया कि जावाल अल्पवृष्टि क्षेत्र में आता है, जहां पांच साल में बमुश्किल से अच्छी बारिश होती है। जिससे इस नदी पर स्थित चार-पांच बांध व कई एनीकट भरते हैं। उनके ओवरफ्लो होने पर नदी में जल प्रवाहित होता है। बजरी नए सिरे से बनना भी संभव नहीं है। नदी की ऐसी दुर्दशा होते हम नहीं देख सकते हैं। इस समस्या को लेकर 22 गांवों की जनता को भीषण गर्मी में धरना देने पर विवष होना पड़ा और पिछले चार दिन से 36 कौम के लोग अपना कामकाज छोड़कर धरना स्थल पर बैठे हैं, लेकिन प्रशासन के द्वारा किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिली व उलटा प्रशासन लीज धारक की पैरवी कर रहा है। नियम विरुद्ध हुए खनन की जांच के नाम पर भी सिर्फ लीपापोती की गई।
रिपोर्ट – सुरेश परमार जामोतरा