बाड़मेर : सरहदी क्षेत्र होने के बावजूद यहाँ के
लोगो मे साम्प्रदायिक सद्भाव, भाईचारा आज भी कायम है। वही
मजहब के नाम पर एक-दूसरे को बांटने वाले लोगों के बीच धर्म की दीवार
तोड़कर इंसानियत की मिसाल पेश करने वालों की भी कमी नहीं है। बल्कि
धर्म-मजहब से परे हटकर साम्प्रदायिक सद्भाव की मिशाल पेश करते है।मुस्लिम
समाज में अभी रमज़ान का पाक महीना चल रहा है, जिसमे रोज़े रखकर खुदा की
इबादत करना, नेक कार्य करना, जकात देना, गरीबो में दान पूण्य करना
महत्वपूर्ण माना गया हैं।
वही कुछ ऐसे भी है जो रोज़े की हालत में होते हुये भी किसी की जान बचाने जैसे नेक कार्य करने में नही चूकते। ऐसे
ही बाड़मेर जिले के बालोतरा क्षेत्र के रिछोली में रहने वाले पत्रकार
मेहबूब राजड़ ने जब सोशल मीडिया पर चल रहे मेसेज जिसमे बालोतरा के जानवी
अस्पताल में एक प्रसूता को रक्त स्राव के चलते दो यूनिट रक्त की आवश्यकता
बताई जा रही थी, वही प्रसूता के गर्भ में बच्चा मर चुका था जिसके कारण रक्त
स्राव के चलते खून की बेहद आवश्यकता थी, वही ब्लड ग्रुप बी नेगेटिव के
चलते मिल पाना मुश्किल था।
मेसेज पढते ही मेहबूब राजड़ ने प्रसूता के पति
मेवाराम दर्जी से बात की एवं अपने गाँव से अपने भाई मुश्ताक खान के साथ
बाइक पर बालोतरा के लिए रवाना हो गया, बालोतरा के जानवी अस्पताल पहुच कर
अपना रोज़ा तोड़कर प्रसूता को एक यूनिट रक्तदान किया, वही दूसरा यूनिट उनके
भाई मुस्ताक खान ने दिया, रोजा तोड़कर उन्होंने अपना खून देकर ना सिर्फ
प्रसूता की जान बचाई बल्कि सामाजिक सौहार्द का संदेश भी दिया। वही लोगों द्वारा मेहबूब एवं मुस्ताक के इस नेक काम की तारीफ की।
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